गुजिया ख़ाके गुलाल फेंक के नव युवा पीढ़ी स्वप्नों में चले। गुजिया ख़ाके गुलाल फेंक के नव युवा पीढ़ी स्वप्नों में चले।
आज तार तार से वाक़िफ हूं कल जार जार को तरसा था। आज तार तार से वाक़िफ हूं कल जार जार को तरसा था।
विश्वास और प्रेम की युगलबंदी... विश्वास और प्रेम की युगलबंदी...
और वो ही बन गया दुश्मन यहाँ मेरा मगर देखिए आज़म करी जिसकी नवाजिश है बहुत। और वो ही बन गया दुश्मन यहाँ मेरा मगर देखिए आज़म करी जिसकी नवाजिश है बहुत।
खोल नहीं पाती खिड़कियां, यह रंग बिरंगी तितलियां। खोल नहीं पाती खिड़कियां, यह रंग बिरंगी तितलियां।
अब भी यहां रिश्ते रहते हैं, या कहीं और ही रहने लगे हैं अब भी यहां रिश्ते रहते हैं, या कहीं और ही रहने लगे हैं